….हेमन्त गर्ग……सेंधवा-हाल ही में इंदौर का एक नवयुग जोड़ा राजा और सोनम जो शिलांग में अपना हनीमून मनाने गया था वह कई दिन से लापता होने के बाद राजा का शव बरामद होता है तो वही सोनम आज भी लापता है, परिवार का रो-रो कर बुरा हाल है, परिजनों के मुताबिक सरकार से मदद की गुहार तो लगाई गई परंतु वह ना काफी है और आज भी सोनम के लापता होने पर परिवार दिन रात चिंता में अपनी जिंदगी गुजारने को मजबूर है,देश की सुर्खियों में वर्तमान के इस पर मुद्दे पर सेंधवा शहर के ऊर्जावान युवक लेखक ने अपनी कलम से रचना में दर्द बयां किया है
रचना-शीर्षक – *”कहाँ चले गए राजा और सोनम”*
पूरे देश की आंखें हैं नम,
कहाँ चले गए राजा और सोनम?
इंदौर से शिलांग दोनों घूमने गए थे,
भविष्य के सपने बुनने गए थे।
जो सिर्फ़ घूमने निकले थे,
जिंदगी को जीने निकले थे,
जो चले थे बेफ़िक्र, ख़ुशियों की राहों पर,
आज खो गए हैं अनजानी माया के पाँवों पर।
क्यों हो गया उस प्यारे सफर का अंत,
क्यों छूट गया कोई अधूरा ख़्वाब कहीं अंदर?
सारे पर्यटकों में है अब डर का साया हरदम,
हर कदम पर घना है ग़म का मौसम।
पूरे देश की आंखें हैं नम,
कहाँ चले गए राजा और सोनम?
ना कोई मैसेज, ना कॉल की रिंग,
बस रह गई हर दीवार पर उनकी याद की पेंटिंग।
माँ की दुआएँ, दोस्तों की आस,
हर दिल से निकलती है एक ही बात ।
लौट आओ राजा, लौट आओ सोनम,
पूरे देश की आंखें हैं नम,
कहाँ चले गए राजा और सोनम?
आओ उठाएँ हम ज़ोर से आवाज़,
ना हो कोई फिर ऐसा कर गुजर आज।
पहलगाम और शिलांग की घटना ने दिल तोड़ दिया,
लानत है हम पर अगर मासूमों के हत्यारों को छोड़ दिया।
सारे पर्यटकों में है अब डर का साया हरदम,
पूरे देश की आंखें हैं नम,
कहाँ चले गए राजा और सोनम?
क्या अब घाटियाँ सिर्फ़ खून से भरेंगी?
क्या पहाड़ों की चुप्पी बंदूक़ें और तलवारें लहरेंगी?
सवाल सिर्फ़ एक राजा-सोनम का नहीं,
सवाल है हर उस उम्मीद का जो अब डर में सिमटी हुई है कहीं।
पहलगाम और शिलांग… अब सिर्फ़ जगह नहीं रहे,
ये अब चीख़ बन चुके हैं — जो ज़मीर से कह रहे:
“अगर अभी भी खामोश रहे,
तो अगला निशाना… शायद रहेंगे खुद हम।”
पूरे देश की आंखें हैं नम,
कहाँ चले गए राजा और सोनम?
रचियता – *निलेश मंगल* , सेंधवा (म.प्र.)