श्री गुरुदेव दत्त जयंती पर्व विशेष

🚩 *दत्तात्रेय जयंती आज*🚩
*ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश का संयुक्त रूप हैं भगवान दत्तात्रेय*
मार्गशीर्ष मास की पूर्णिमा को दत्तात्रेय जयंती मनाई जाती है। इस दिन दत्तात्रेय जी के बालरूप की पूजा की जाती है।
भगवान दत्तात्रेय ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश तीनों का संयुक्त रूप हैं। भगवान श्री दत्तात्रेय को तंत्राधिपति भी कहा जाता हैं। इस साल दत्तात्रेय भगवान की जयंती आज 26 दिसंबर 2023 को है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा-पाठ और धार्मिक आयोजन किए जाते है। (पं कपिल शर्मा)
📜 *दत्तात्रेय जयंती कथा*
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार तीनों देवियों पार्वती, लक्ष्मी तथा सरस्वती को अपने पतिव्रत धर्म पर बहुत घमंड हो गया। नारद जी ने इनका घमंड चूर करने के लिए बारी-बारी से तीनों देवियों के पास जाकर देवी अनुसूया के पतिव्रत धर्म का गुणगान करने लगे।
ईर्ष्या से भरी देवियों ने नारद जी के चले जाने के बाद देवी अनुसूया के पतिव्रत धर्म को भंग करने की जिद ठान ली। ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश तीनों को अपनी पत्नियों के सामने हार माननी पड़ी और वे तीनों देवी अनुसूया की कुटिया के सामने एक साथ साधु के वेश में जाकर खड़े हो गए।
जब देवी अनुसूया इन्हें भिक्षा देने लगी तब इन्होंने भिक्षा लेने से मना कर दिया और भोजन करने की इच्छा प्रकट की। अतिथि सत्कार को अपना धर्म मानते हुए देवी अनुसूया उनके लिए भोजन की थाली परोस लाई, लेकिन तीनों देवों ने भोजन करने से मना करते हुए कहा कि जब तक आप हमें गोद में बिठाकर भोजन नहीं कराएंगी, हम भोजन नहीं करेगें।
अपने पतिव्रत धर्म के बल पर उन्होंने उनकी मंशा जानली और अपने पति ऋषि अत्रि का ध्यान कर,अपने पतिव्रता धर्म एवम सतीत्व के प्रभाव से जल लेकर तीनों देवों पर छिड़क दिया, जिससे तीनों देव बालरूप में आ गए। बालरूप में तीनों को भरपेट भोजन कराने के बाद, देवी अनुसूया उन्हें पालने में लिटाकर अपने प्रेम तथा वात्सल्य से उन्हें पालने लगी। धीरे-धीरे दिन बीतने लगे और काफी दिन बीतने पर भी ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश अपने अपने लोक नहीं लौटे तब तीनों देवियों को अपने पतियों की चिंता सताने लगी।
अपनी भूल पर पछतावा होने के बाद तीनों माता अनुसूया के पास पहुंच क्षमा याचना करते हुए उनके पतिव्रत धर्म के समक्ष अपना सिर झुकाया। माता अनुसूया ने कहा कि इन तीनों ने मेरा दूध पीया है, इसलिए इन्हें बालरूप में ही रहना ही होगा। यह सुनकर तीनों देवों ने अपने-अपने अंश को मिलाकर एक नया अंश पैदा किया, जिनका नाम दत्तात्रेय रखा गया।
इनके तीन सिर तथा छ: हाथ बने। तीनों देवों को एकसाथ बालरूप में दत्तात्रेय के अंश में पाने के बाद माता अनुसूया ने अपने पतिव्रत धर्म एवम सतीत्व के प्रभाव से देवो को पूर्ववत रूप प्रदान कर दिया। पं कपिल शर्मा
🚩 *अवधूत चिंतन श्री गुरुदेव दत्त*🚩
🟠 *दिगंबरा दिगंबरा श्री पाद वल्लभ दिगंबरा*🟠

🌞 *पूजन विधि*🌞
*इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके भगवान दत्तात्रेय की पूजा करनी चाहिए। पूजा करने के बाद श्री दत्तात्रेय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।इससे भगवान दत्तात्रेय प्रसन्न होते हैं और भक्त के सभी कष्टों को दूर करते हैं।*

🪷 *रोचक तथ्य दत्तात्रये भगवान, दुर्वासा ऋषि, चंद्रमा तीनो सगे भाई है।*🪷
*गुरु देव स्म्रत गामी है,*
*-अर्थ – सच्चे ह्रदय से याद किया जाए तो वो उपस्थित हो जाते है। किंतु बिना तप साधना के उन का दर्शन नही होता। पं कपिल शर्मा*
🚩 *अवधूत चिन्तन गुरु देव दत्त*🚩
*🟠दिगंबरा दिगंबरा श्री पाद वल्लभ दिगंबरा*🟠
*पं कपिल शर्मा*
*9630101010*