गुरुपूर्णिमा ओर गुरु के महत्व क्या है कैसे मनाए गुरु पर्व

*🕉️श्री गुरु पूर्णिमा उत्सव*🕉️

*🚩3 जुलाई 2023*🚩

*✨आषाढ शुक्ल पुर्णिमा*✨

*सदाशिवसमारंभा शङ्कराचार्य मध्यमाम् ।*

*अस्मदाचार्य पर्यन्तां वन्दे गुरु परम्पराम् ।।*

गुरु – वह शक्ति, वह तत्व,जो मनुष्य को अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। हर सभ्यता, हर संस्कृति में गुरु को ईश्वर से भी ऊँचा स्थान दिया गया है। हमारे वेद, पुराण, शास्त्र भी गुरु की महीमा और गुरु के महत्व से सुसज्जित एवं अलंकृत है। चाहे भौतिक जीवन हो या आध्यात्मिक जीवन हो, बिना गुरु के हम सफलता के शिखर पर नहीं जा सकते । गुरु के बताये मार्ग पर चलकर हम इस संसार से और भवसागर से पार उतरते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग गुरू होते हैं। जैसे-सांसारीक जीवन में प्रथम गुरु माँ होती है। दाम्पत्य जीवन मे पत्नि का गुरु पति होता है, ऐसा कई पुराणों मे वर्णन है। आपके परिवार मे कुल परंपरा अनुसार ‘जिस भी देवी-देवता की पूजा चली आ रही है और आपके पूर्वज जिन गुरुओ से दीक्षीत थे। वो भी आपके कुलगुरू की श्रेणी में आएंगे ।
अब प्रश्न यह उठता है कि-गुरु किसे बनाए ? गुरु कौन होना चाहीये ? गुरु कैसे खोजे?
अगर आपके प्रारब्ध के पुण्य कर्म अधिक है तो स्वतः आपको श्रेष्ठ गुरु सरलता से प्राप्त हो जायेंगे। शिष्य कभी भी गुरु को नहीं खोजता, श्रेष्ठ गुरू स्वतः ही शिष्य को अपने पास बुला लेते हैं। और ये सब कुछ स्वतः बिना किसी योजना होता है। जो आपकी अन्तरात्मा को भी रोमांचीत कर देता है

आजकल कथावाचक , ज्योतिषी,गुरु बने फिरते है जो कि मेरी दृष्टि में ठीक नही,ना ही शास्त्र सम्मत है। कुछ तो फेसबुक,वॉट्सएप पर जिन मन्त्रो को गोपनीय रखने का विधान है उन्हे भी दुकान चलाने और लोकप्रीय होने के चक्कर मे सार्वजनिक कर देते हैं। अगर कीताबो से ज्ञान मिलता, तो गुरु शिष्य परंपरा ही समाप्त हो जाती। किताबें सिर्फ आधार है। किताब में लिखी गुढ़ता, किताब में लिखा ज्ञान सिर्फ और सिर्फ गुरु ही समझा सकते हैं, और सीखा सकते हैं ।

मन्त्र शब्द मात्र है ,उनमे शक्ति गुरु ही अपनी तपस्या से प्रदान करते हैं।
चारों पीठो में चार शंकराचार्यजी की परम्परा चल रही है। शंकराचार्य परंपरा श्रेष्ठ परम्परा है, उसमें दिक्षित होना परम सौभाग्य का विषय है।

किसी भी तपस्वी, ब्रम्हचारी साधक से मन्त्र दिक्षा लेनी चाहीये ।एवं गुरु रूप मे उन्हें पुजना चाहीये। शाक्त परम्परा में जो ग्रहस्थ दिक्षीत है ,एवं तपस्वी है उनसे भी मन्त्र लिया जा सकता है। अन्य परंपराओं मे दिक्षित तपस्वी, धर्मनिष्ठ, ब्रह्मचारी व ग्रहस्थो से भी मंत्र दीक्षा ली जा सकती है।
अगर आपके गुरु नहीं है, और आप संशय में है। तो आप भगवान शंकर, भगवान विष्णु, गुरुदेव दत्तात्रेय महाराज, आद्य गुरु शंकराचार्य जी, श्री रामकृष्ण परमहंस, हनुमान जी, गणेश जी को अपना गुरु मानकर इनकी पूजा कर सकते है। साथ ही यह प्रार्थना भी कर सकते हैं कि आपकी कृपा से हमे श्रेष्ठ गुरु प्राप्त हो। अगर आप माँ जगदम्बा में विशेष आस्था रखते है ,तो उनसे ही यह प्रार्थना करे की उनकी कृपा से आपको श्रेष्ठ गुरु की प्राप्ती हो।

श्रेष्ठ गुरु, श्रेष्ठ साधक ईश्वर की कृपा से ही प्राप्त होते हैं। गुरु स्वयं के आत्मकल्याण के साथ, शिष्य का भी आत्मकल्याण करते हैं।आजकल तो ऐसे भी गुरू देखने को मिलते हैं जो अपने शिष्यो को गुरु पुर्णिमा पर निमंत्रण देकर बुलाते हैं।

तंत्र ,मन्त्र , टोना ,टोटका,चमत्कार इन अंधविश्वासों में ना फसे ।कुछ लोग तो अपनी मनोकामना पूरी ना होने पर बार-बार गुरु बदलते हैं, ऐसे गुरु द्रोहीयों का तो मुँह देखना भी शास्त्रों मे वर्जीत है। ज्योतिष विद्या के मतानुसार जो लोग बार-बार गुरु बदलते है उनका बृहस्पति सदा सर्वदा उन्हे अशुभ फल ही प्रदान करता है। मेने जो भी लिखा और मुझे ये लिखने योग्य बनाने वाले मेरे *परमपुज्य गुरुदेव शाक्त कुलभूषण, माँ जगदम्बा गायत्री के वरद पुत्र श्री श्री १००८ श्री शिवचैतन्य ब्रहचारी जी महाराज जी* के चरणों में कोटि-कोटि प्रणाम करता हु । परम पुज्य गुरुदेव भगवान से यही प्रार्थना है सभी सुखी रहे ,सभी को श्रेष्ठ ज्ञान मिले, सभी को श्रेष्ठ गुरु मिले, हमारे देश में गुरु तत्व की व्यापकता हो ।हमारा भारत देश विश्व गुरु के रूप मे सदा सर्वदा पूजित हो।
*सद गुरुदेव भगवान की जय।*
*परम पुज्य ब्रम्हचारी बाबा की जय।*
*गायत्री मैंय्या की जय।*
*गुरुदेव दत्तात्रेय महाराज की जय*
*राजराजेश्वर भगवान जय !*
*नर्मदा मैया की जय*
*सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय*
*भारत माता की जय*
*गौ माता की जय ।*
*मेरे देश के सभी महापुरुषों की जय।*

*✨श्री गुरु पुजन के मुहूर्त—*✨

*होरा मुहूर्त*

*चंद्र – सुबह 5:46 से 6:54 तक,*
*बृहस्पति – सुबह 8:01 से 9:09 तक* ,
*शुक्र-दोप. 11:24 से 12:31 तक*,
*बुध- दोप 12:31से 1:39 तक* ,
*चन्द्र- दोप – 1:39 से 2:46 तक,*
*बृहस्पति-दोप 3:53 से 5:01 तक* ,

*आपका सनातनी भाई*
*कपिल शर्मा (काशी महाराज)*
*Mo..9630101010*