खुले बोरवेल ट्यूबवेल को लेकर बड़ा आदेश

राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी की पहल पर मध्यप्रदेश के नवागत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने लिया संज्ञान जारी किया आदेश।।

प्रदेश में अनुपयोगी एवं खुले नलकूप/बोरवेल/ट्यूबवेल में छोटे बच्चों के गिरने की दुघर्टनाओं को रोके जाने के सम्बंध में जारी किया आदेश।।

ज्ञातव्य है कि 3 अगस्त 2023 को राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने इस गंभीर विषय को सवाल के माध्यम से संसद में उठाया था।।

*बड़वानी:-* राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी की पहल पर मध्यप्रदेश सरकार ने लिया संज्ञान नवागत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जारी किया आदेश।।

प्रदेश में अनुपयोगी एवं खुले नलकूप/बोरवेल/ट्यूबवेल में छोटे बच्चों के गिरने की दुघर्टनाओं को रोके जाने के सम्बंध में जारी किया आदेश।।

ज्ञातव्य है कि 03 अगस्त 2023 को राज्यसभा के मानसून सत्र के दौरान संसद भवन नई दिल्ली में राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने देश के महत्वपूर्ण विषय की और सदन एवं सरकार ध्यान आकर्षित करते हुए उक्त विषय पर सवाल उठाया था।।

सांसद डॉ. सोलंकी ने अपने सवाल के माध्यम से मांग की थी कि देश भर में बोरवेल और ट्यूबवेल के खुले गड्डों में मासूमो के गिरने की घटनाओं को रोकने के लिए दोषियों के खिलाफ कड़े से कड़े कानूनों का प्रावधान करने की मांग की थी।।
सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने बताया था देश भर में बोरवेल और ट्यूबवेल के खुले गड्डों में गिरने से, न जाने कितनी ही मासूम जिंदगियों की किलकारियां हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो रही हैं, यह सरकार, समाज एवं सदन के लिए गंभीर चिंतन का विषय है कुछ घटनाओं का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया था की मध्य प्रदेश के विदिशा जिले के खेरखेडी पठार गाँव में खुले बोरवेल में गिरने से सात वर्षीय बालक लोकेश को नही बचाया जा सका । इसी प्रकार, मध्य प्रदेश के ही दमोह, विदिशा और उमरिया जिले में भी मासूम जानों को नही बचाया जा सका। महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में खुले बोरवेल में गिरे पांच साल के बच्चे को तमाम कोशिशों के बाद भी नही बचाया जा सका । तमिलनाडु के त्रिची शहर के नाडु-काटू-पत्ती गाँव के बोरवेल में गिरे 02 साल के मासूम सुजीत विल्सन को भी एस. डी. आर. एफ. और एन. डी. आर. एफ. की टीमों की हर मुमकिन कोशिशों के बावजूद भी नही बचाया जा सका । पंजाब के संगरूर जिले में भी 150 फुट गहरे बोरवेल में गिरे 03 साल के फतेहवीर सिंह को भी नही बचाया जा सका । विगत वर्ष उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में खुर्जा और वाराणसी के पिंडरा में भी ऐसी ही घटनाएँ घटित हुई, जिसमे छ: साल की मासूम बच्ची एवं 13 वर्षीय अनिकेत यादव की मौत हो गई थी।
हरियाणा के हल्दाहेडी गाँव में जुलाई 2006 को पांच वर्षीय प्रिंस के 50 फुट गहरे बोरवेल के गड्डे में गिरने के बाद न्यूज़ टीवी चैनलों ने रेस्क्यू ऑपरेशन के दृश्य लाइव दिखाए थे, जिससे पूरी दुनिया का ध्यान ऐसे हादसों की ओर गया था जिससे यह भी उम्मीद जगी थी कि भविष्य में ऐसे हादसे सामने नही आयेंगे परन्तु आज भी स्तिथि ज्यों की त्यों बनी हुई है।
नेशनल क्राइम रिकार्ड्स ब्यूरो की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार साल 2014 में, देश में जहां बोरवेल में गिरने वाले बच्चों की संख्या 48 थी, वहीँ 2015 में बढकर 71 हो गयी है ।
तमिलनाडू के बारे में तो 2014 में एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने गृह मंत्रालय को सूचित किया था कि इस राज्य में 2010 से 2012 के बीच 561 बच्चे बोरवेल में गिरे थे, जो कि अब यह आंकड़ा हजारों में पहुँच गया है।
2006 में हरियाणा प्रिंस के बोरवेल से निकाले जाने के बाद से, 2015 तक करीब 16,281 लोगों जिसमे महिलायें और बच्चों की जान खुले बोरवेल, गड्ढ़ों और मेनहोल में गिरने से हो चुकी है। ऐसे भयावय हादसों को देखते हुए 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने पुरे देश में खुले बोरवेल के रख-रखाव सम्बन्धी दिशा निर्देश जारी किये थे । इन दिशा निर्देशों में कहा गया था कि खुले बोरवेल के चारों तरफ तार या अन्य सुरक्षा उपाय किये जाने चाहिए।
सवाल यह भी है कि आखिरकार बार-बार होते ऐसे दर्दनाक हादसों के बावजूद देश में बोरवेल और ट्यूबवेल के गड्डे कब तक इसी प्रकार खुले छोड़े जाते रहेंगे ? और कब तक मासूम जानें इनमे फंस कर दम तोडती रहेंगी ? हर बार ऐसी हृदयविदारक घटनाओं से न तो आमजन ने और न ही प्रशासन ने कोई सबक सिखा है। माननीय सांसद ने माननीय सभापति के माध्यम से इस अति संवेदनशील और गंभीर विषय के लिए सरकार से यह आग्रह किया था कि इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए दोषियों के खिलाफ कड़े से कड़े कानूनों का प्रावधान होना चाहिए , ताकि ऐसी भयावह धटनाओं का दोहराव देश में रोका जा सके ।