अनवरत जारी है डूब प्रभावितो का धरना प्रदर्शन

हेमन्त गर्ग सम्पादक-

*मोदी जी के जन्मदिन व नर्मदा घाटी के लोगों के मरण दिन हुआ-मेधा पाटकर*
*आज बड़वानी कलेक्टर कार्यालय का घेराव 3 घंटे किया गया बड़वानी में चक्का जाम जारी है।*
*बच्चुराम कनोजे को श्रधांजलि दी*
आज बड़वानी जिले के 65 गांव सभी डूब चुके है इसके अलावा अतिरिक्त कृषि भूमि भी चुकी है। जिला प्रशासन के द्वारा किसी प्रकार का कोई भी सर्वेक्षण नहीं किया जा रहा है, इसमें हजार मकान डूब चुके है इसमें कई सारे मकान टूटते जा रहे हैं। इसके लिए प्रशासन के द्वारा दूसरी कोई व्यवस्था भी नही की जा रही हैं।
बड़वानी जिले के पिछोडी, भीलखेड़ा, पेंड्रा, जामदा, नंदगाँव, जागरवा, अवलदा, सोंदुल,भवती, बबुलताड़, बिजासन, कसरावद, कुंडीया, चीप खेड़ा, छोटा बड़ दा, धनोरा, सेगांव, पिपरी, मोहीपुरा, दतवाड़ा, पिपलुद अन्य गाँव के लोग आए थे
इस डूब के लिए केवल जलवायु परिवर्तन नहीं, बड़े बांध से नदी के साथ खिलवाड़ बांधों के जलस्तर में अवैज्ञानिकता और आदि जिम्मेदार है, जिसमे राज्य शासन , नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, नियंत्रण प्राधिकरण भी शामिल है। केंद्रीय जल आयोग के 2018 के नियम अनुसार वर्गी से लेकर सभी जलाशय 31 अगस्त तक 25% खाली नहीं रखे हमारी बार-बार मांग के बाद भी 16 सितंबर तक सरदार सरोवर के गेट पर्याप्त मात्रा में नहीं खुलने से निकास किया गया आखिर 17 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का जन्मदिन मनाने के बाद 6 मीटर तक गेट्स खोले गए पास पर्याप्त और शक होने के बदले एक साथ बड़ी मात्रा में लाखों की करने से गुजरात के नीचे वास में गांव खेती नगर का नुकसान सरदार सरोवर निगम गुजरात और केंद्र शासन जिम्मेदार है इसमें 16 सितंबर के दिन रात घर छोड़ना समान मवेशी आदि के साथ बूढ़े बच्चे महिलाओं को पानी से बाहर उपलब्ध करना गोताखोर बहुत भेजना वाहन उपलब्ध कराना राहत में शासकीय निजी भवन में निवास भोजन की व्यवस्था आदि शासन करीबन कुछ गांव में ही कर पाई की चूड़ी जैसे गांव में शासन ने वोट कुछ आरक्षित पुलिस दल पुलिसों को भेजा गया जहां सब मेहनत खर्च करके बचाना या बचाना पड़ा है फिर भी कहीं मौत हुई मवेशी व्रत हुई समान अनाज बड़ा नुकसान हुआ और घर द्वस्था हुई दीवारें गिर पड़ी है इस सबके लिए शासन प्रशासन पूर्ण रूप से जिम्मेदार होते हुए भी अपना कर्तव्य का पूरा पालन उन्होंने करना बहुत तत्काल जरूरी है हमारी मांग है कि
1. सभी प्रवाहितों को तत्काल निवास भोजन उपलब्ध कराया जाए।
2. सामान हटाने के लिए सभी बोट गोताखोर पुलिस कर्मचारी गांव-गांव में पहुंच जाए।
3.ड्रोन कैमरे से तत्काल सभी गांव का सर्वेक्षण किया जाए।
4 हर तहसील में प्रभारी डाल भेज कर देखा एक परिवार के नुकसान का पुनर्वास की स्थिति का विस्थापन और प्रभाव संबंधी सर्वेक्षण और जानकारी का पंचनामा 48 घंटे में किया जाए उसकी संपूर्ण भरपाई का आदेश पारित करके 7 दिन के अंदर पूरी भरपाई के भुगतान का कार्य पूरा किया जाए।
5 सरदार सरोवर के सभी परिवारों का पुनर्वास पुनर्वास कानून नीति और न्यायाधीश फैसले के अनुसार पूर्ण करने की योजना बजट आदि एका जाए हर गांव में गांव की ग्राम सभा को प्रति उपलब्ध करके समिति लेकर त्वरित अमल किया जाए।
6. संपूर्ण पुनर्वास होने तक जल स्तर 122 मीटर पर निश्चित किया और रखा जाए।
7. सरदार सरोवर के सभी गेट्स खुला रखकर नर्मदा को बहुत ही रखकर मध्य प्रदेश महाराष्ट्र गुजरात की नुकसानी मकान खेत पर प्रभाव होने नहीं दिया जाए।
8. सरदार सरोवर संबंधी 24/ 10/ 2019 के सर्वोच्च अदालत के आदेश का संपूर्ण पालन किया जाए।
9. सरदार सरोवर के बैकवॉटर लेवल्स से कम करने के एमसीए की कमेटी के रिपोर्ट को खारिज किया जाए।
10. विस्थापितों के नर्मदा आंदोलन के सभी मुद्दे समस्याएं आवेदनों पर तत्काल चर्चा निश्चित करके अंतिम निर्णय लिए जाए।
11. आज तक जो गलत जवाब नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण मध्य प्रदेश महाराष्ट्र गुजरात शासन नर्मदा नियंत्रण नर्मदा निवारण प्राधिकरण से दिए गए हैं जिन पर पुन विचार किया जाए।
12. हर तहसील के पुनर्वास अधिकारी की तथा शिकायत निवारण प्राधिकरण के पांच न्यायाधीश भूत. सदस्यों की नियुक्ति तत्काल की जाए।
हर गांव के विस्थापितों के द्वारा अपनी अपनी बात रखी गई और हकीकत बताई गई कि आज भी कानूनी पुनर्वास नहीं हुआ है जो बैकवॉटर लेवल बताएं यूट्यूब से बाहर बताए थे वह घरों मकान में पानी घुस गया इस प्रकार से सरकार प्रशासन के द्वारा किस प्रकार के कार्य किया जा रहा है यह सवाल खड़ा किया गया है क्योंकि आज हम जिलाधीश के कार्यालय पर अंदर आए हमारी बात रखने आए हमारा पुनर्वास की बात रखने आए क्योंकि आज इस प्रकार की स्थिति रही तो आगे क्या और होने वाला है यह सब बात रखते हुए आज उनके सामने आए और उसे पर निर्णय।
साथी बच्चू राम कनोजे के कनोजे को श्रद्धांजलि दी गई और उनका अंतिम संस्कारी किया गया है और चक्का जाम भी किया गया और हमारा घरों को दुख से बाहर कर उन मकानों में पानी और डूब के अतिरिक्त हजारों हेक्टेयर जमीन उन पर कोई प्रशासन द्वारा ध्यान नहीं दिया कोई सर्वे नहीं किया जा रहा है इसको सवाल यह सवाल किया जाए।

*धनराज भिलाला, हरिओम बहन, राहुल यादव, विजय मरोला, पवन सोलकी, गौरीशंकर कुमावत, कैलाश यादव, कमला यादव, निर्मला बाई सोलंकी, श्याम मछुआरा, कमला बाई मेधा पाटकर* अन्य साथी थे।