अधिक मास क्या करे ? क्या ना करे ?कैसे ले पुण्यलाभ

*पंडित कपिल शर्मा काशी महाराज*
श्रावण अधिक मास प्रारम्भ हो चुका है। साथ ही साथ टोटके बाजो के टोटको की गंगा व धर्म मे भ्रम फैलाने का कार्य भी शुरू गया है। सनातन धर्म का मूल हमारे वेद, पुराण ,शास्त्र है। शास्त्रों की बात ना मानकर, मनगंढ़त कोई भी कार्य सुख प्रद हो ही नहीं सकता। आइये जानते है अधिक मास के अधिष्ठाता देवता कौन है?

अधिक मास के अधिष्ठाता देवता भगवान श्रीविष्णु है। भगवान विष्णु ने स्वयं इसे अपना नाम दिया है, इसलिये इसे पुरुषोत्तम मास भी कहते है ।
*अधिक मास मे सूर्य की संक्रांति नहीं होती है।*
अधिक मास में क्या करे-

• अपने गुरु मंत्र, इष्ट मन्त्र का अधिक से अधिक जाप करे। एवं दान करे।
दान कैसे करे ? एवं क्या दान करे ?
अपने क्षेत्र, शहर, गाँव, गली, मोहल्ले के विद्वान ब्राम्हण पण्डितजी को बुलाए एवं उनसे गणेश-गौरी का पुजन करवाए, दिपक का पुजन करवाए। एवं उनसे दान का विधिवत संकल्प कराए। व दान के साथ दक्षिणा भी दें।
बिना संकल्प के किया गया दान पुण्य प्रदान नही करता है,क्योंकी उस दान का फल शर्मिष्ठा नामक अप्सरा ले जाती है ब्रह्मा जी से मिले वरदान के द्वारा। इसलिये विद्वान ब्राम्हण को बुलाकर पूजन
करवाकर दान का संकल्प अवश्य करे।

– अधिक मास में अपने क्षेत्र के शिव मन्दिर,विष्णु मंदिर,गोशाला एवं पवित्र नदि के तट पर गाय के घी के दिप प्रज्जवलीत कर दिपदान करे। एवं जिन मन्दिरों मे अखण्ड ज्योत जल रही हो वहा अधिक से अधिक घी का दान करे।

विष्णुसहस्त्रनाम का स्वयं भी पाठ करे एवं विद्वान ब्राम्हणो द्वारा भी पाठ करवाए। साथ ही साथ भगवान विष्णु की प्रतिमा या शालिग्राम शिला पर विष्णुसहस्रनामावली से तुलसी पत्र, सुगन्धित पुष्पों से व सफेद तिल से सहस्त्रार्चन कराए। श्री सूक्त व कनकधारा स्तोत्र का भी पाठ कराए व दक्षिणा में कासे के बर्तन मे मालपुआ रखकर,सोने या चांदी के सिक्के के साथ दान करे। यह दान आप मन्दिर मे भी दे सकते हैं, एवं ब्राम्हण को भी दे सकते हैं।
– अधिक मास मे किया गया जप, पाठ, पुजा, दान, शुभ कर्म बहुत अधिक फल देने वाले होते हैं। किन्तु ये सभी कार्य अपने क्षेत्र के विद्वान ब्राम्हणों के दिशा निर्देशन में उन्ही के द्वारा करवाना चाहीये।
ऑनलाइन पूजा व ऑनलाइन दान का कोई महत्व नहीं है।
अगर आप शिव जी के भक्त है, तो शिवमहिम्न स्तोत्र एवं रुद्राष्टाध्यायी से विद्वान ब्राह्मण से अभिषेक कराए व स्वयं भी अपने गुरु मन्त्र एवं इष्ट मन्त्र का जाप करें।

अगर आप भगवान गणेशजी के भक्त हैं तो गणपति अथर्वशीर्ष एवं गणपति स्तोत्र के पाठ करवा सकते हैं, एवं स्वयं भी कर सकते है।
*पंडित कपिल शर्मा काशी महाराज*
अधिक मास में श्रीमद्‌भगवद्गीता पढ़ने व सुनने का विशेष महत्व है साथ ही साथ श्री रामरक्षास्तोत्र, गोपाल सहस्त्रनाम, दारिद्रयदहन शिवस्तोत्र, इनका पाठ विद्वान ब्राम्हण द्वारा कराए एवं स्वयं
भी कर सकते है।

अधिक मास मे देशी गायों की गोशाला में अधिक से अधिक सेवा करे।

अधिक मास में संकल्प करा कर दिये जाने वाले दान इस प्रकार है।
*शुक्ल पक्ष-*

एकम् – चाँदी के पात्र में घी
दूज -कांसे का पात्र
तीज -चना दाल
चतुर्थी -खारक
पञ्चमी -तुअर दाल,गुड
छठ -जौ,अदरक
सप्तमी- लाल चन्दन
अष्टमी -कपूर ,केवड़ा
नवमी – केशर
दशमी – केशर
एकादशी -चन्दन
बारस – शंख
तेरस – धनिया
चौदस – मोती,
पुर्णिमा – पञ्चरत्न

*पुर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष-*
एकम – माखन, मालपुआ
दूज – खीर
तीज – दही
चतुर्थी- सूती वस्त्र
पंचमी – रेशमी वस्त्र
छठ – ऊनी वस्त्र
सप्तमी – घी
अष्टमी- तिल
नवमी- चावल
दशमी- गेहूं
एकादशी – दूध
बारस – खिचड़ी
तेरस – शहद ,शक्कर
चौदस – तांबे के पात्र में मूंग
अमावस्या -बैल (नन्दी)(चांदी या पीतल के)
*पंडित कपिल शर्मा काशी*
पुरुषोत्तम मास (अधिक मास) में निषिद्ध ,वर्जित कार्य –
मांगलीक कार्य, गृहप्रवेश , कुआ- तालाब खुदवाना, यज्ञोपवित, मुण्डन ,विवाह, वेद अध्ययन का आरम्भ।
*पंडित कपिल शर्मा काशी महाराज*
पुरुषोत्तम मास में निष्काम भाव से किया गया पुण्य कार्य अतिशय फलदायी होता है। ईश्वर से, परमात्मा से प्रेम किजीये। और स्वयं पुरुषार्थ किजिये। भगवान को ईच्छापूर्ति के साधन मत समझीये। टोने-टोटके अंधविश्वास के उन्माद से स्वयं भी बचिए और समाज को भी बचाईये।
*आपका सनातनी भाई -*
*कपिल शर्मा (काशी महाराज)*
*Mo – 9630101010*