*हिन्दू नववर्ष प्रारम्भ*
*नल नाम संवत्सर, विक्रम संवत् २०८०*
*22 मार्च 2023*
*-: चैत्र नवरात्र प्रारम्भ, प्रतिपदा घटस्थापना के शुभ मुहुर्त :-*
*सुबह 6:30 से 9:32 बजे तक*
*सुबह 11:03 से दोपहर 12:34 बजे तक*
*शाम 5:07 से 6:37 बजे तक*
*चर्तुग्रही योग एवं गजकेसरी योग में होगी घटस्थापना।*
*आगम एवं तन्त्र साधना मे दिक्षित साधको के लिये अष्टमी महानिशा काल पूजन मुहूर्त – 29 मार्च 2023 बुधवार रात्रि – 12:08 से 12:54 बजे तक*
*नवमी पुजन 30 मार्च 2023 को होगा।*
*अपनी कुल परम्परा एवं गुरुपरम्परा के अनुसार घटस्थापना एवं पुजन, हवन,बली करे (नारियल या भुरे कद्दू की बली करें)।*
*माँ भगवती जगदम्बा सच्चे हृदय से की गई थोड़ी सी पुजा, जाप, पाठ से सन्तुष्ट होकर अपने बच्चो पर असीम अनुकम्पा करती है। यूँ तो जगदम्बा की पुजा के कई विधि और विधान वेदोक्त, तांत्रोक्त, पुराणोक्त है। जगदम्बा की भक्ति से मनुष्य सभी कुछ प्राप्त कर लेते हैं।*
*नवरात्र में अपने क्षेत्र के विद्वान ब्राम्हणों से दुर्गासप्तशती के पाठ, रामरक्षा स्तोत्र, सुन्दर काण्ड, रामचरितमानस के पाठ करवाना चाहिये एवं स्वयं भी करना चाहिये। जिन्हें संस्कृत ठिक से पढना नही आता, उन्हें गीताप्रेस गोरखपुर की हिन्दी वाली दुर्गासप्तशती का पाठ एवं चमत्कारिक दुर्गा अष्टोत्तरशतनाम का पाठ करना चाहीये।*
*माँ भगवती की उपासना में स्वच्छता एवं निश्चित समय का ध्यान रखना चाहिये । वाट्सअप पर आने वाले तंत्र-मंत्र ,टोने-टोटको के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिये। साधना मार्ग गुरुगम्य है, किसी योग्य साधक एवं गुरु की रेखदेख मे ही करना चाहिए। माँ ममतामयी एवम् दयालु है।उनकी सात्विक पुजा करनी चाहिये। तन्त्र साधना सिर्फ तन्त्र मार्ग में दीक्षित साधकों के लिए ही है।*
*प्राय: इन दिनो देखने में आता है महाविद्या माँ बगलामुखी के अनुष्ठानों का चलन लोगों में चल रहा है। माँ बगलामुखी की साधना का तेजी से व्यवसायिकरण हो रहा है। जो कि अनुचित हैं।*
*इस बार माँ जगदम्बा का आगमन नाव पर हो रहा है। जो कि समस्त शुभ फलो को देने वाला है। नवरात्र मे माँ भगवती का पुजन लालचन्दन, बिल्वपत्र, हल्दी, मेहन्दी, सिन्दूर से करे। गुड़हल,कनेर एवं गुलाब पुष्प चढाए। एवं अपने क्षेत्र के विद्वान ब्राम्हणो से हवन एवं पाठ करवाए।*
*माई जगदम्बा की प्रसन्नता के लिये नवरात्र में नौ दिन ये भोग माई को अर्पण करे -*
*प्रतिपदा – गोघृत*
*द्वितीया -शक्कर*
*तृतीया – गाय का दूध*
*चतुर्थी- मालपुआ*
*पञ्चमी- कैला*
*षष्ठी -मधु*
*सप्तमी- गुड़*
*अष्टमी – नारियल*
*नवमी -धान का लावा (लाजा)*
*इन नैवेद्य को अर्पण कर माँ जगदम्बा का शुभाशिष प्राप्त करे।*
*संवत्सर का फल – राजाओ मे कोप, क्रोध एवं भय उत्पन्न होगा। फसलों में टीड्डी एवं चुहो का आक्रमण बढ़ेगा। वर्षा अधिक होगी। सुदुर क्षेत्रों एवं आर्यवृत्त में भुकंप की घटनाए घटेगी। दया ,धर्म में वृद्धी होगी। आमजनो मे आध्यात्मीक उत्साह बना रहेगा। राजा भयक्रांत रहेंगे एवं प्रजा में रोग का भय रहेगा।*
*” वर्षारंभे नल नाम संवत्सर: संकल्पादौ वर्षपर्यन्तम् योजनीयम् “*
*नल नाम संवत्सर, विक्रम संवत २०८०*
*राजा – बुध = पृथ्वी पर वर्षा अधिक हो ।*
*मन्त्री – शुक्र= नदियों में बाढ़ की अधिकता, पशुओं में कृषि को हानि ।*
*सस्येश – चन्द्र = जनता को सूख, पृथ्वी धन-धान्य से पूर्ण ।*
*धान्येश – शनि = देश में कलह, विग्रह ।*
*मेघेश- गुरु = शासक शास्त्र सम्मत कार्य करेंगे। अच्छी वर्षा होगी*
*रसेश -बुध= कृषि सुलभ, जनता प्रसन्न रहे।*
*नीरसेश – चन्द्र – श्वेत पदार्थों, मोती, चान्दी, वस्त्रों का मुल्य महंगा ।*
*फलेश – गुरु = लोग भयरहीत रहेंगे, घरो मे यज्ञ-यज्ञादि एवं उत्सव |*
*धनेश – सूर्य = व्यापार मे धनलाभ, पशु विक्रय में धन प्राप्ती।* *
*नवसंवत्सर के शुभारम्भ पर 22 मार्च 2023 को अपने घरो में भारत माता के चित्र का पुजन करे। अपने घरो पर भगवा ध्वज लगाए । मस्तक पर तिलक लगाए एवं समस्त सनातनीयों को नववर्ष की शुभकामनाएँ प्रेषित करे । आप सभी को हिन्दु नववर्ष की एवं चैत्र नवरात्र की हार्दिक मंगलकामना एवं बधाई।*
*आपका सनातनी भाई*
*पं. कपिल शर्मा (काशी)* *9630101010*