महापर्व शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 07/10/2021 गुरु वार से

महू

विश्व प्रसिध्द ज्योतिशाचार्य पंडित कपिल शर्मा काशी महाराज जी द्वारा बताई गई नवरात्रि पर माँ की विशेष आराधना । मां का आगमन इस वर्ष डोली से होगा एवं विदाई भी डोली से होगी। जब माता डोली पर सवार होकर आती है तो कुछ परेशानियों का सामना लोगों को करना पड़ता है।इस दौरान संक्रामक रोगों के फैलने का भय, राजनीतिक रूप से भी माता का डोली पर आना शुभ नहीं माना जाता है। हालांकि माता के डोली पर आने से स्त्री शक्ति को मजबूती मिलेगी। इस वर्ष नवरात्रि की प्रतिपदा को वैधृति योग होने से चित्रा नक्षत्र होने से घट-स्थापना के दो ही मुहूर्त श्रेष्ठ है। *(उज्जैन पञ्चांग मतानुसार)* सुबह 6:22 से 7:50 बजे तक दोपहर 11:51 से 12:38 बजे तक अपने- अपने कुल परम्परा अनुसार घट स्थापना एवं पुजनादि करे। माॅं जगदम्बा की प्रसन्नता के लिए कनेर के पुष्प सेे, बिल्व पत्र से,कंकू से,हल्दी से, लाल चंदन से पूजन अर्चन करे एवं अनार का भोग लगाए। श्रीमद् देवी भागवत के आधार पर नवरात्रि के नौ दिनों तक जगदम्बा के नित्य अलग – अलग सामग्री का भोग लगाकर ब्राह्मणों को एवं कन्याओं को देना चाहिये।तिथि भोग सामग्री प्रतिपदा गो – घृत द्वितीया – शक्कर तृतीया -दूध चतुर्थी – माल – पूआ पंचमी – केला षष्ठी -मधु सप्तमी -गुड़ अष्टमी -नारियल नवमी -धान का लावा (लाजा) इन सामग्री को नौ दिन अर्पण करने जगदम्बा की असीम कृपा प्राप्त होती है। नवरात्र में ब्रह्मचारी व्रत का पालन करना चाहिये। सामर्थ्य अनुसार व्रत एवं पूजन करना चाहिये। ज्यादा न हो सके तो दुर्गा चालीसा एवं हिन्दी में ही दुर्गा सप्तशती का पाठ कर लेना चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ किसी विद्वान योग्य ब्राह्मण से करवाना चाहिये। दो गज की दूरी, मास्क है जरूरी। आप सभी को महापर्व नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं। पं कपिल शर्मा (काशी)