सेंधवा नगर में एसडीएम द्वारा आवासीय निर्माण को नजूल की भूमि बताते हुए नोटिस के प्रकरण को अनुसूचित जनजाति आयोग राष्ट्रीय अध्यक्ष ने गंभीरता से लेते हुए राजस्व मंत्री करणसिंह से की मुलाकात शनिवार को मुख्यमंत्री से मिलकर समस्या का करेंगे निदान । उक्त जानकारी भाजपा प्रवक्ता सुनील अग्रवाल ने देते हुए बताया कि आवासी क्षेत्र में एसडीएम द्वारा नजूल की भूमि पर आवासीय निर्माण के संबंध में दिए जा रहे नोटिस पर नगर में हड़कंप मचे जाने पर लोगो में असमझ की स्थिति व घबराहट के चलते गुरुवार को अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य ने राजस्व मंत्री करणसिंह से मुलाकात कर सेंधवा नगर की वस्तुस्थिति बताते हुए आबादी वाले क्षेत्र को नजूल की भूमि बताकर नोटिस से लोगों में भय का वातावरण निर्मित होकर असमझ की स्थिति होकर रातों की नींद हराम हो गई है आप इसका निराकरण करें। हम लोगों को बेघर नहीं होने देंगे । आर्य की बात सुनकर मंत्री करणसिंह ने गंभीरता से लेते हुए तत्काल राजस्व के अधिकारी को बुलाकर कागजों की जांच के आदेश देते हुए आश्वासन दिया कि किसी को भी बेघर नहीं किया जाएगा । यह बड़ी समस्या हो गई है इसके लिए अगर जरूलत पड़ी तो केबिनेट की बैठक में रख कर इसमें संशोधन किया जाएगा । जनता के साथ न्याय किया जाएगा । इस समस्या का शीघ्र निराकरण किया जाएगा । आर्य शनिवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से भी मुलाकात करेंगे। भाजपा प्रवक्ता सुनील अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि सेंधवा नगर के आबादी वाले क्षेत्र के खसरा नंबर 136 में आने वाली भूमि को नजूल की भूमि बताकर तत्कालीन एसडीएम द्वारा नगर के कई लोगों को नोटिस देकर नजूल की भूमि पर आवासीय निर्माण के संबंध में नोटिस देने से लोगो में हड़कंप मच गया था । इसको लेकर पीड़ित वर्ग ने सासंद गजेंद्र सिंह पटेल से भी संपर्क किया गया था । उन्होंने भी कलेक्टर से चर्चा की गई थी । इस दौरान पीड़ित लोग दो माह पूर्व अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य से मिलकर नोटिस संबंधी दस्तावेज देते हुए बताया कि नगर पालिका की स्थापना व होलकर स्टेट के समय के दस्तावेज भी दिखाए । जिसमें आबादी क्षेत्र होने के साथ 1920 से पूर्व की बसावट होने के बावजूद तत्कालीन खरगोन कलेक्टर ने सन 1972 ने बिना किसी दावे आपत्ति लिए उक्त भूमि को नजूल की भूमि घोषित कर दिया गया था । सेंधवा नगर की आबादी एक लाख से अधिक होने के साथ संपूर्ण क्षेत्र नगर पालिका परिषद सेंधवा के अंतर्गत आता है। संपूर्ण क्षेत्र की भूमि का संपत्ति कर, प्रकाश कर, सफाई कर व अन्य कर वसूले जाकर लोगों का प्रबंधन रख रखाव भी नपा द्वारा किया जाता है । इस बीच नजूल भूमि जिसे सरकार अपनी संपत्ति बता रही है उसमें कुछ संपत्तियां का क्रय विक्रय भी होते आए है किंतु किसी भी शासकीय अधिकारी ने कोई आपत्ति नहीं जताई। जवाहर गंज क्षेत्र जिसे नगर पालिका द्वारा लोगो को 99 वर्ष के लिए लिज पर दी गई है । अगर यह नजूल की भूमि होती तो इसमें भी आपत्ति आनी चाहिए थी । किंतु इसमें कोई सरकारी आपत्ति नहीं आई । इस दस्तावेजों को लेकर आर्य ने मुख्यमंत्री डॉ यादव से भी मिले थे जिन्होंने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया था ।
*भूमि नजूल से हटकर भूमि स्वामी के नाम से दर्ज किए जाने की अनुशंसा*
नजूल की भूमि पर आवासीय निर्माण को लेकर सेंधवा एसडीएम ने कई लोगों को नोटिस जारी करने के संबंध में कोई निर्णय नहीं होने पर पुनः पीड़ित लोग पुनः अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष अंतरसिंह आर्य से मिलकर इस समस्या का हल निकालने हेतु मिले थे । इस संबंध में आर्य ने भोपाल जाकर राजस्व मंत्री करणसिंह से मुलाकात कर वस्तुस्थिति से अवगत करते हुए कहा कि सेंधवा नगर की आबादी की बसावट 1900 से पूर्व होकर नपा की स्थापना व होलकर स्टेट के समय से बसावट रही थी 1920 में नपा व होलकर स्टेट ने संपत्ति को लेकर सर्वे भी किया गया था जिसके चलते वर्ष 1936 में नगर पालिका सेंधवा व होल्कर स्टेट द्वारा किये गये सर्वे का इन्द्राज राजस्व पत्रों में करने का दायित्व राजस्व विभाग का था परंतु उनके द्वारा सर्वे अनुसार राजस्व पत्रों में इल्द्राज नही किया गया, जिस कारण से वर्ष 1972 में खरगोन कलेक्टर द्वार आदेश पारित किया गया। उपरोक्त राजस्व विभाग की त्रुटी के कारण वर्ष 1972 में पारित आदेश अपने आप अवैध हो जाता है तथा उसका कोई विपरीत प्रभाव सेंधवा नगर की भूमि पर नहीं होता है। इस प्रकार सेंधवा नगर की भूमि नजुल भूमि नहीं होकर सेंधवा के रहवासियों के स्वामित्व की भूमि है अत: सेंधवा की भूमि नजुल भुमि नही होने से उक्त भुमि के राजस्व पत्रों में से नजुल को हटाकर सेंधवा के रहवासियों का नाम उक्त भूमि स्वामी के रूप में दर्ज करने के संबंध में कार्यवाही किए जाने की अनुशंसा की जाती है।
*शनिवार को मिलेंगे मुख्यमंत्री से*
भाजपा प्रवक्ता सुनील अग्रवाल ने बताया कि नजूल भूमि प्रकरण के संबंध में आर्य राजस्व मंत्री करणसिंह से मुलाकात किए जाने बाद वे शनिवार को मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव से भी संपर्क कर नगरहीत में नजूल भूमि को लेकर चर्चा कर राजस्व पत्रों में दर्ज नजूल की भूमि को हटाकर नगरवासी का नाम जो संपत्ति के स्वामी है उनके नाम पर दर्ज करने की बात रखेंगे ।
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