पति-पत्नी का सामंजस्य ही परिवार को स्वर्गतुल्य बनाता है-पूज्य गिरी बापू

सबका कल्याण ही शिवत्व है।
बिल वृक्ष लगाना शिव को अर्पित करने से अधिक श्रेष्ठ है।
पति-पत्नी का सामंजस्य ही परिवार को स्वर्गतुल्य बनाता है।
शंकाराचार्य ने यदि ज्योतिर्लिंग से परिचित कराया है तो माँ अहिल्या ने उनका जिर्णोद्धार किया है।
सेंधवा रघुवंश पब्लिक स्कूल के प्रांगण में व्यासपीठ से श्री गिरी बापू ने कहा शैव और वैष्णव भक्तों के समन्वय को लेकर जहां एक और यह कहा गया है कि राम ने यह घोषणा की है कि जो शिव द्रोही है वह मुझे सपने में भी प्राप्त नहीं कर सकता। इसी तरह महादेव कहते हैं शरीर रूपी भवन के अमंगलकारी प्रभाव को श्रीराम मंगलकारी स्वरूप देते हैं। उमा सहित शिव राम का स्मरण करते हैं।
सद्गुरु ने पार्थेश्वर महादेव की पूजा का महत्व बतलाया जिसमें किसी भी वर्ण का व्यक्ति मिट्टी के शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा कर सकता है। सरलतम रूप में तुलसी की क्यारी से मिट्टी लेकर हम शिवलिंग बना सकते हैं। इस समय पूजा में यदि कोई मंत्र याद नहीं है तो मौन रहकर भी पूजा कर सकते हैं। चूकिं शिव का स्वभाव दूसरों को कष्ट देना नहीं है इसलिए सबका कल्याण ही शिवत्व है। यदि शिव पूजन में कोई भूल भी हो जाए तो वह भी शम्य है।
शिव के पूजन से व्यक्ति श्राप मुक्त हो जाता है। चूकिं चंद्र शिव कृपा से ही श्राप मुक्त हुए है। इसलिए उनके द्वारा स्थापित शिवलिंग ही सोमनाथ ज्योतिर्लिंग है। विनाश के बाद अहिल्या ने उसी भूमि पर पुनः शिवलिंग स्थापित किया है।
आपने कहा शिव भोग और भोग की शक्ति दोनों के साथ मोक्ष के दाता है। वे पापों से मुक्त करने वाले है। जहां ज्योति में से शिवलिंग प्रकट हुआ है वह ज्योतिर्लिंग कहलाता है। शंकाराचार्य ने यदि ज्योतिर्लिंग से परिचित कराया है तो माँ अहिल्या ने उनका जिर्णोद्धार किया है।
यहां तक कि दीप की ज्योति भी शिवलिंग है जो मानव का मार्गदर्शन करती है। शिव की आराधना कई द्रवों से भी होती है उन्हें पात्र में लेना चाहिए। अतं में आप ने कहा कामना रहित शिव पूजन ही सर्वश्रेष्ठ है।
आप ने महादेव को लेकर कई भ्रमों को दूर किया है- हम बिल पत्र के साथ तुलसी पत्र भी शिव को अर्पित कर सकते है। इसी तरह कुमकुम भी शिव को अपर्ति किया जा सकता है। महादेव का नवैघ भी भक्षण करना पुण्य कारी है।
जिन घरों में नैवेघ अर्पित कर भक्तों को खिलाया जाता है वह घर तीर्थ स्थल बन जाता है। शिव का प्रसाद ललाट को स्पर्श कर ग्रहण करना चाहीए। आप ने बिल के वृक्ष का महत्व बतलाया जो शिव पूजन में महत्वपूर्ण है। किंतु बिल पत्र चढ़ाने की अपेक्षा बिल वृक्ष लगाना अधिक पूण्यकारी है।
आपने विष्णु और लक्ष्मी के विवाद की कथा कहकर इस और सकेत किया कि पति-पत्नी का सामंजस्य ही परिवार को स्वर्ग तुल्य बनाता है।