किसानों को पड रही महंगाई की मार

अंजड़-बारिश की लंबी खेंच और लॉकडाउन की मार झेल रहे किसानों की डीजल के दाम बढ़ने से मुश्किलें बढ़ने लगी है। किसान बिलबिला उठे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने बीस लाख करोड़ के राहत पैकेज में किसानों को कुछ नहीं दिया। उसकी फसल का वाजिब मूल्य नहीं मिल रहा है।क्षेत्र में खेतों को तैयार कर बुवाई करनज का सीजन है। किसानों को खेत की जुताई और बोवाई के लिए डीजल की जरूरत होती है। इस समय किसानों को राहत देने की जरूरत है, लेकिन पेट्रोल डीजल के दाम दिनों दिन बढ़ते जा रहे हैं। लगातार डीजल के दाम बढ़ने से किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। कृषक की आय उत्पादन लागत और कृषि उत्पाद पर निर्भर करती है। खेतों को तैयार करने फसलें बुवाई करने, सिंचाई करने से लगाकर शहर में लाकर बेचने तक में ट्रेक्टर और संसाधन डीजल पर निर्भर करती है। विद्युत के दाम बढ़ने से यह लागत पहले से ही बढ़ी हुई है, बची-रही कसर डीजल के दामों में वृद्धि ने पूरी कर दी है। किसान की आय को दुगनी करने का नारा लगाने वाली यह सरकार किसान की कमर तोड़ने का काम कर रही है। उत्पादन लागत में वृद्धि करके कृषक की आय को लगातार कम किया जा रहा है। इसे देश का किसान कतेई बर्दाशत नहीं करेगा। अगर डीजल के दामों में वृद्धि को वापस नहीं किया जा सकता तो किसान को सब्सिडी देते हुए डीजल 40 रूपये प्रति लीटर के हिसाब से दिया जाए।
लगातार डीजल और पेट्रोल के दाम महंगे हो रहे हैं। सरकार इस तरह किसानों का तेल निकालना चाहती है। पिछले तीन वर्षों से गन्ने मूल्य नहीं बढ़ाया गया है। बारिश लगते ही फिलहाल बुवाई का सीजन है। किसान की सिंचाई और जुताई या अन्य बहुत से कार्य डीजल पर ही निर्भर हैं। इससे सीधा-सीधा दर्शाता है कि सरकार किसानों के साथ बहुत बड़ी सोची समझी साजिश रच रही है।फिलहाल डिजल के बढते दामों ने किसान की कमर तोड़कर रख दी है। किसानों को खेतों में उपयोग करने वाले वाहनों ट्रेक्टर खरपतवार नाशक स्प्रेयर पंप के लिए डीजल और पेट्रोल की जरूरत होती है। किसान पहले ही वायरस, बारिश की लंबी खेंच और लॉकडाउन में चौपट हो गया। इस समय किसानों को राहत देने की जरूरत है। लेकिन यह सरकार लगातार पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा रही है। फसल की लागत मूल्य में वृद्धि होने से किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।
डीजल-पेट्रोल की बढ़ती कीमतों ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। एक तो कोरोना महामारी वहीं दूसरी और बढते डीजल के दामों से किसान पर भारी पड़ रहा है। सरकार ने राहत पैकेज में किसान को कुछ नहीं दिया। अब डीजल के दाम बढ़ाकर खुली लूट मचा रही है। सरकार की ओर से किसान की उत्पादन लागत को कम किया जा रहा है। इस समय किसानों को राहत देने की जरूरत है, लेकिन सरकार पेट्रोल डीजल के दामों में आग लगा रही है। अन्नदाता की आय को दुगनी करने का नारा लगाने वाली भाजपा सरकार ने किसान की कमर तोड़ने का काम कर रही है। इसे देश का किसान कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।